Saturday, October 24, 2009

भा जा पा कल आज और कल

मातृ दो शीट से शुरुआत करने वाली पार्टी एक दिन देशकी दूसरी बड़ी पार्टी बन जाएगी ये बात शायद उस समय ख़ुद पार्टी के मुखिया को भी न आया रहा होगा तो सरकार चलने की बात तो उस समय सोचना भी बेमानी था .लेकिन नेक इरादों के साथ किया गया काम देर से ही सही हर किसी को पसंद आता है जब तक की वह लोभ और स्वार्थ से दूर रहे .खेर अटल जी के नेतृत्व मे पार्टी ने कई ऊँचाइयों को छुआ और देश पर राज भी किया लेकिन यहाँ से सुरु हुआ पार्टी के पतन का सफर जिसके लिए पार्टी के दूसरी श्रेणी के नेताओं का ही दोष है आज पार्टी का हर नेता पार्टी को छोर ख़ुद के ही बारे मे ही सोच रहा है पार्टी कहाँ जा रही है किसी को क्या म.प्र और छग.की बात छोर दे तो पार्टी आज हर जगह पिचारती जा रही है ये अलग बात है की और भी प्रदेश मे उसकी सरकार हो लेकीन चुनाव को सामना करने मे पार्टी हर जगह पिछारती जाती है .जिसके जिम्मेदार है उसके अपने ही नेता जो चल चरित्र और आनुशासन की बाब तो हमेशा करते है लेकिन कभी भी उनका अनुशरण नहीं करते आज पार्टी का हर नेता अपने आप को पार्टी से बड़ा समझता है कोई भी एसा नहीं जो अपने आप से समय निकल कर पार्टी के बारे में सोचे सभी नेते अपनी आपस की ही लारी में उल्घे हुए है ।
हाल मै हुए मुंबई और हरियाणा चुनाव के बाद आये नतीजो के बाद तो अब पार्टी के नेताओ को आपनी सोच बदलनी होगी नहीं तो पार्टी इतिहास के गर्त मै ऐसी खो जाएगी की जहाँ से उसे फिर से इस्थापित होने का मोका शायद ही मिले.

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