आज एक चीज ने सारी जनता को परेशां किया हुआ है नाम दोनों का एक ही है लेकिन दोनों मै बहुत अन्तर है पर दोनों का काम एक ही है बिना किसी भेद भावः के हर नागरिक को परेशान करना ।
पर धयान से सोचा जाए तो दोनों को हम ने ही इतना बडाबा दिया है की आज दोनों ही हमारे बस से बहार जा चुकी है अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे की हम किन की बात कर रहे है जी हाँ हम बात कर रहे है जिन चीजों की उनमे से पहली चीज है चीनी और दूसरी है चीन।
जी हाँ आज एक तरफ़ जहाँ महंगाई के कारण जहाँ चीनी लोगों से दूर भागती जा रही वही हमारा पड़ोसी देश चीन लगातार हमारे पास आना चाह रहा है मेरा मतलब है इतना पास की हमारी सीमा को ही आपना बताने में उसे कोई संकोच नही ।
बात चाहे चीन की हो या चीनी की आज दोनों ही बेलगाम हो चुके है दोनों पर अब हमारा बस नही जिसकी सारी जिम्मेदारी हमारी सरकार की आदुर्दार्शिता का नतीजा है एक तरफ़ मुनाफा खोरों ने जहाँ चीनी को आपने फायदे के लिए गोदामों में दवा कर रखे हुए है वही सरकार की कार्यवाही नाकाफी है उसी प्रकार हमारे पड़ोसी के द्वारा लगातार की जाने वाली गुस्ताखियों के बाद भी हम पता नही किस बात के इन्तजार में है ।
जल्द ही दोनों का इंतजाम नही किया गया तो वह दिन दूर नही जब जख्म नासूर बन हमेशा के लिए देश को शलता रहेगा । और हम शान्ति का शंदेश सारी दुनिया को सुनते हुए चीनी की मांग करते रहेंगे .
Sunday, October 25, 2009
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